Friday, March 27, 2009

walk-in-interview in BEL-Ghaziabad, for Diploma holder on 30 March.

There is a walk-in-interview in BEL-Ghaziabad, for Diploma holder on 30 March.

लोस चुनाव बाद होंगी कुविवि की परीक्षाएंबीकॉम की परीक्षाएं भी हुई स्थगित

नैनीताल।
छात्र संगठनों के बढ़ते दबाव के आगे आखिरकार कुमाऊं विश्वविद्यालय प्रशासन को झाुकना पड़ा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने चार अप्रैल से प्रस्तावित बीकॉम की परीक्षाओं को भी अब लोकसभा चुनाव के बाद ही अन्य परीक्षाओं के साथ कराने का फैसला लिया है।बता दें पूर्व में विश्वविद्यालय की परीक्षाएं १४ मार्च से प्रस्तावित थीं। इस दौरान विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, विवि की आर्थिक स्थिति सुधारने तथा केंद्रीय विवि की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया, पांच मार्च को शासन की ओर से कुछ मांगों को मान लेने का लिखित आश्वासन मिलने पर छह मार्च से शिक्षक-कर्मचारी काम पर लौटे। इस दौरान एक सप्ताह के भीतर विवि प्रशासन के लिए परीक्षाएं कराना काफी मुश्किल हो गया।
विवि प्रशासन के सामने कुमाऊं के सबसे बड़े हल्द्वानी डिग्री कालेज के अलावा खटीमा, बागेश्वर एवं पिथौरागढ़ के भवनों के अधिग्रहण की समस्या सामने आ गई। ये भवन चुनाव के लिए अधिग्रहीत किए गए हैं। बावजूद इसके विवि प्रशासन ने चार अप्रैल से स्नातक स्तर पर कामर्स की परीक्षाएं कराने का फैसला ले लिया। इधर, परीक्षा तिथि घोषित होते ही कुमाऊं भर के छात्र संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया, इसके तहत उन्होंने कुलपति एवं कुलसचिव का घेराव भी किया। कुलसचिव बीसी जोशी ने बताया छात्र संगठनों की मांग को देखते हुए अब बीकॉम की चार अप्रैल से प्रस्तावित परीक्षाएं अन्य परीक्षाओं के साथ ही लोकसभा चुनाव के बाद ही करायी जाएंगी, परीक्षा की अगली तिथि बाद में घोषित की जाएगी।
बुर्जुगों ने चमकाया राज्य का नाम


बाजवा, रावत और सचदेवा ने फिर राष्ट्रीय स्तर पर किया कमाल
दून के बुर्जुग एथलीटों ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर कमाल किया है। उन्होंने हिसार में हुई ३०वीं मास्टर्स एथलेटि1स चैंपियनशिप में दो स्वर्ण समेत आठ पदक जीते। जबकि इसका दूसरा पहलू यह है कि प्रदेश सरकार इन चैंपियनों को उनके कमाल का इनाम नहीं दे सकी है।डीएस बाजवा, बीएस रावत, जेएस सचदेवा ऐथलेटि1स में ऐसे नाम हैं जिन्होंने राज्य को लगातार सफलताएं दिलाई हैं। तीनों ने समय-समय पर जता दिया कि उम्र उन पर भारी नहीं पड़ सकती। ट्रैक एंड फील्ड में उपल4िधयां हासिल करने के लिए उनके अंदर अभी जज्बा कायम है। यही कारण है कि डीएस बाजवा अभी तक तीन एशियन मास्टर्स एथलेटि1स चैंपियनशिप में नौ मैडल जीत चुके हैं। जबकि बीएस रावत ने दो एशियन चैंपियनशिप में तीन और सचदेवा ने एक मैडल प्राप्त किया है।
अब हिसार में १९ से २२ मार्च तक हुई ३०वीं राष्ट्रीय मास्टर्स एथलेटि1स चैंपियनशिप में भी तीनों ने एक बार फिर कमाल का प्रदर्शन कर जुलाई में फिनलैंड में होने वाली वल्र्ड मास्टर्स एथलेटि1स चैंपियनशिप के लिए अपनी दावेदारी को मजबूत किया है। डीएस बाजवा ने भाला फेंक में स्वर्ण, च1का फेंक में रजत और गोला फेंक में कांस्य पदक जीता। बीएस रावत ने लंबी कूद में स्वर्ण और त्रिकूद एवं ४०० मी. दौड़ में कांस्य पदक जीता। इसी तरह जेएस सचदेवा ने १५०० मी. और ५००० मी. दौड़ में रजत पदक जीते। लेकिन लगातार सफलताएं हासिल कर रहे इन धावकों का दर्द है कि अभी तक राज्य सरकार उनकी उपल4िधयों को महत्व नहीं दे रही है। उनका कहना है कि चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए उनको अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ते हैं। सरकार अन्य खिलाडिय़ों पर पैसे बहा रही है, परंतु वेटरन खिलाडिय़ों की किसी भी स्तर पर नहीं सुनी जा रही है।
देवभूमि के लाल, दिल्ली में कमाल
उत्तराखंड कहने को यूं तो पांच लोकसभा सीटों को सिमटाए छोटा सा प्रदेश है मगर इसी उत्तराखंड ने देश को ऐसे कई कद्दावर सियासी शख्सियत दी हैं जिन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाई और निभा रहे हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि यह सिलसिला आजादी के बाद से ही आरंभ हो गया जो अब तक अनवरत जारी है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि गढ़वाल व कुमाऊं, दोनों ही क्षेत्र राष्ट्रीय राजनीति के दिग्गजों के लिहाज से उर्वर साबित हुए हैं। राष्ट्रीय राजनीति में उत्तराखंड को एक नई पहचान दिलाने में हेमवती नंदन बहुगुणा व नारायण दत्त तिवारी का नाम बेहिचक सबसे ऊपर लिया जा सकता है। उत्तराखंड में गढ़वाल व कुमाऊं का प्रतिनिधित्व करने वाले इन दो दिग्गजों में एक दिलचस्प समानता भी रही। वह यह कि दोनों दिग्गजों ने उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री पद और केंद्र में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का जिम्मा भी संभाला। हालांकि श्री बहुगुणा उत्तराखंड से केवल वर्ष 1980 (इसके बाद उप चुनाव भी) में पौड़ी गढ़वाल सीट से चुनाव लड़े और जीते लेकिन उनके पर्वतीय सरोकारों से हर कोई वाकिफ है। इसी तरह नारायण दत्त तिवारी ने 1980, 96 व 99 के आमचुनाव में नैनीताल सीट से जीत हासिल की। तीन बार उत्तर प्रदेश व एक बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद को संभाल चुके श्री तिवारी केंद्र सरकार में उद्योग, विदेश, वाणिज्य, वित्त जैसे अहम महकमों के मंत्री रहे हैं। वर्तमान में श्री तिवारी आंध्र प्रदेश के गवर्नर हैं। देश की पहली लोकसभा में महावीर त्यागी देहरादून डिस्टि्रक्ट कम बिजनौर डिस्टि्रक्ट (नार्थ वेस्ट) कम सहारनपुर डिस्टि्रक्ट(वेस्ट) और बाद में देहरादून सीट से सांसद बने। श्री त्यागी नेहरू मंत्रिमंडल के एक अहम सदस्य रहे। इसी तरह पहली लोकसभा से चौथी लोकसभा तक गढ़वाल सीट से निर्वाचित भक्तदर्शन ने केंद्र में शिक्षा मंत्रालय संभाला। आजादी के बाद पं गोविंद बल्लभ पंत की केंद्र में भूमिका को कौन भूल सकता है हालांकि वह कभी उत्तराखंड से सांसद नहीं रहे लेकिन उनके पुत्र केसी पंत साठ व सत्तर के दशक में नैनीताल सीट से तीन बार लोकसभा पहंुचे और कई अहम जिम्मेदारियां निभाई। इमरजेंसी के बाद वर्ष 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में बीएलडी के टिकट पर मुरली मनोहर जोशी ने अल्मोड़ा संसदीय सीट पर जीत दर्ज की। श्री जोशी बतौर केंद्रीय मंत्री मानव संसाधन विकास मंत्रालय जैसी अहम जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। वर्ष 1984 व 89 में टिहरी गढ़वाल सीट से लोकसभा तक पहुंचे ब्रह्मदत्त ने केंद्र में पेट्रोलियम मंत्रालय संभाला। उत्तराखंड के दिग्गजों की केंद्र में महत्वपूर्ण भूमिका की परंपरा को आगे बढ़ाया भुवन चंद्र खंडूड़ी, बची सिंह रावत और सतपाल महाराज ने। ये तीनों दिग्गज वर्तमान में भी सक्रिय राजनीति में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर मैदान में डटे हैं। सेना में मेजर जनरल पद से अवकाश लेने के बाद श्री खंडूड़ी वर्ष 1991, 98, 99 और 2004 में पौड़ी गढ़वाल सीट से सांसद बने। वाजपेई सरकार में पहले राज्यमंत्री और फिर बतौर कैबिनेट मंत्री जरनल खंडूड़ी ने भूतल परिवहन सरीखे अहम मंत्रालय में अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी अंजाम दिया। यही वजह रही कि वर्ष 2007 में उत्तराखंड में सत्ता में आने के बाद उन्हें भाजपा ने सांसद होने के बावजूद उत्तराखंड में मुख्यमंत्री का पद सौंपा। पौड़ी गढ़वाल सीट से वर्ष 1996 में तिवारी कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने सतपाल महाराज ने भी अपने इसी कार्यकाल में बतौर केंद्रीय राज्यमंत्री रक्षा व रेल मंत्रालय की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन किया। अल्मोड़ा सीट से लगातार चार बार वर्ष 1996,98, 99 व 2004 में सांसद बने बची सिंह रावत भी वाजपेई सरकार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे।
देहरादून, : राजधानी में हाइप्रोफाइल सेक्स रैकेट का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने देहरादून के तीन प्रापर्टी डीलरों व दो कालगर्ल को गिरफ्तार कर लिया। कालगर्ल दिल्ली व मुजफ्फरनगर की निवासी हैं। पुलिस के मुताबिक दोनों की बुकिंग 50 हजार रुपये में की गई थी। पुलिस ने पांचों आरोपियों के खिलाफ देह व्यापार अधिनियम में मुकदमा दर्ज कर लिया। उधर, सेक्स रैकैट में फंसे दोनों प्रापर्टी डीलरों को छुड़ाने के लिए कई प्रापर्टी डीलरों व राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने थाने में पुलिस पर दबाव बनाने का प्रयास किया।
नैनीताल से बाबा को कांग्रेस का टिकट
कांग्रेस ने नैनीताल संसदीय सीट से सिटिंग सांसद केसी सिंह बाबा को टिकट देने का निर्णय लिया है। अलबत्ता इसकी औपचारिक घोषणा अभी तक नहीं की गई है। हरिद्वार सीट से श्री हरीश रावत को टिकट देने की पार्टी ने औपचारिक घोषण कर दी
सत्ता सुख भोग रहे उक्रांद ने कार्यकर्ताओं को थमाया लालीपाप

सत्ता के चैन को तबियत बेचैन
यह बात भाजपा और उक्रांद दोनों को पता है कि अब चुनावी गठबंधन संभव नहीं है। इसके बाद भी एक सीट देने के प्रस्ताव की बात समझ से परे है। माना यही जा रहा है कि सत्ता सुख भोग रहे उक्रांद के कुछ नेताओं ने सरकार से समर्थन वापसी की मांग कर रहे कार्यकर्ताओं को लालीपाप थमाया है। उक्रांद में इस समय सरकार से समर्थन वापसी का मुद्दा खासा मुखर हो रहा है। सत्ता का सुख भोग रहे कुछ नेताओं को यह रास नहीं आ रहा है। ये नेता लोस चुनाव में फ्रेंडली फाइट कर रहे हैं। इसे कार्यकर्ताओं ने स्वीकार नहीं किया तो उक्रांद के कुछ नेता अपने भाजपाई दोस्तों के साथ बैठे और एक फार्मूला निकाला। तय किया गया है कि प्रदेश भाजपा की ओर से हाईकमान को एक प्रस्ताव भेजकर एक सीट उक्रांद को देने की बात की जाएगी। ऐसे में एक सवाल खड़ा हो रहा है। भाजपा प्रत्याशी सभी सीटों पर प्रचार में जुटे हैं। फिर सरसरी तौर पर एक बार ऐसे प्रस्ताव को भाजपा हाईकमान पहले ही खारिज कर चुका है। हरिद्वार सीट पर फजीहत झेल चुकी भाजपा क्या एक बार फिर वैसे ही हालात से रूबरू होना चाहेगी। यकीनी तौर इस सवाल का उत्तर सिर्फ और सिर्फ ना ही होगा। इसके बाद भी उक्रांद नेता इस प्रस्ताव से संतुष्ट हो गए और समर्थन वापसी की बात को टाल दिया। अब कार्यकर्ता अगर फिर यही बात उठाते हैं तो उन्हें यही समझाया जाएगा कि अभी तो भाजपा उनके प्रस्ताव पर विचार कर रही है। खास बात यह भी है कि इस प्रस्ताव के बारे में निर्णय के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। पहले तो यह प्रस्ताव प्रदेश संसदीय समिति पारित करेगी, फिर केंद्र को भेजा जाएगा। हो सकता है कि उस समय तक नामांकन और नाम वापसी का वक्त ही निकल चुका हो। जाहिर है कि उक्रांद नेताओं ने भाजपा के साथ मिलकर खेले इस सियासी खेल के जरिए कार्यकर्ताओं को लालीपाप थमाया है। समय गुजरने की रफ्तार से ही कार्यकर्ताओं का आक्रोश भी धीरे-धीरे शांत हो जाएगा। इस तरह वे सत्ता सुख भोगते रहेंगे और कार्यकर्ता यूं ही ताकतें रहेंगे।
जीप खाई में गिरी, सात मरे
गोपेश्र्वर, विकासखंड घाट के थिरपाक-कांडई मोटर मार्ग पर बुधवार सायं एक जीप के गहरी खाई में गिरने से उसमें सवार सात लोगों की मौके पर मौत हो गई, जबकि दो लोग घायल हो गए। घायलों को जिला चिकित्सालय में उपचार के लिए भर्ती कराया गया है। मृतकों में छह पुरुष व एक महिला शामिल हैं। बुधवार की देर शाम कांडई पुल से मोलागाड़ जा रही जीप अचानक अनियंत्रित होकर गहरी खाई में जा गिरी। इससे उसमें सवार उमराव सिंह 60 वर्ष पुत्र वचन सिंह निवासी चाका, रतन सिंह 65 वर्ष पुत्र गोविंद सिंह निवासी मटई, ज्ञान सिंह 64 वर्ष पुत्र गोविंद सिंह निवासी मटई, मंगल सिंह 44 वर्ष पुत्र दीवान सिंह निवासी खलतरा, जीप चालक सुरेंद्र 39 वर्ष पुत्र फते सिंह, एक अन्य महिला की मौके पर ही मौत हो गई। महिला की अभी तक शिनाख्त नहीं हो पाई है।

Wednesday, March 11, 2009









kainthola's from noida & canada

Tuesday, February 3, 2009

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Tuesday, January 6, 2009

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creative director of abn distributors

Thursday, November 20, 2008

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